डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध
किसी भी भारतीय से पूछें कि वे डॉ कलाम के बारे में क्या सोचते हैं तो जवाब आपको अभिभूत कर देगा , क्योंकि वह सिर्फ भारत के मिसाइल मैन से ज्यादा हैं। भारत के राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी लेने से लेकर भारतीय मिसाइलों के विकास का नेतृत्व करने तक , डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दिया है। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध
डॉ . अब्दुल कलाम को फ़रवरी 1982 में डी . आर . डी.एल का निदेशक नियुक्त किया गया। उसी समय अन्ना विश्वविद्यालय , मद्रास ने इन्हें ‘ डॉक्टर आफ साइंस ‘ की मानक उपाधि से सम्मानित किया। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल करने के क़रीब बीस साल बाद यह मानद उपाधि डॉ . अब्दुल कलाम को प्राप्त हुई।
अब्दुल कलाम जन्म व् शैक्षिक जीवन- कलाम जी का जन्म 15 अक्टूबर , 1931 को धनुषकोडी गांव , रामेश्वरम , तमिलनाडु में मछुआरे परिवार में हुआ था , वे तमिल मुसलमान थे। इनका पूरा नाम डॉक्टर अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम है। इनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन था। वे एक मध्यम वर्गीय परिवार के थे। इनके पिता अपनी नाव मछुआरों को देकर घर चलाते थे। बालक कलाम को भी अपनी शिक्षा के लिए बहुत संघर्ष करना पढ़ा था। डॉ एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध
वे घर घर अख़बार बाटते और उन पैसों से अपने स्कूल की फीस भरते थे। अब्दुल कलामजी ने अपने पिता से अनुशासन , ईमानदारी एवं उदार स्वभाव में रहना सिखा था। इनकी माता जी ईश्वर में असीम श्रद्धा रखने वाली थी। कलाम जी के 3 बड़े भाई व् एक बड़ी बहन थी। उनका अपने सभी भाई बहनों से करीबी रिश्ता था।
अब्दुल कलाम जी की आरंभिक शिक्षा रामेश्वरम एलेमेंट्री स्कूल से हुई थी। 1950 में कलाम जी ने बी एस सी की परीक्षा st . Joseph’s college से पूरी की। इसके बाद 1954-57 में मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी ( MIT ) से एरोनिटिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। बचपन में उनका सपना फाइटर पायलेट बनने का था, लेकिन समय के साथ ये सपना बदल गया।
अब्दुल कलाम जी के करियर की शुरुआत- 1958 में कलाम जी D. T.D. and P. में तकनिकी केंद्र में वरिष्ट वैज्ञानिक के रूप कार्य करने लगे। यहाँ रहते हुए ही इन्होंने prototype hover craft के लिए तैयार वैज्ञानिक टीम का नेतृत्व किया। करियर की शुरुवात में ही अब्दुल कलाम जी ने इंडियन आर्मी के लिए एक छोटा ( small) हेलीकाप्टर डिजाईन किया। 1962 में अब्दुल कलामजी रक्षा अनुसन्धान को छोड़ भारत के अन्तरिक्ष अनुसन्धान में कार्य करने लगे। 1962 से 1982 के बीच वे इस अनुसन्धान से जुड़े कई पदों पर कार्यरत रहे। 1969 में कलाम जी ISRO में भारत के पहले SLV – 3 ( Rohini ) के समय प्रोजेक्ट हेड बने।
अब्दुल कलाम को देश का मिसाइल मैन क्यों कहा जाता है? डॉ अब्दुल कलाम एक भारतीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक ( Indian aerospace scientist ) थे और अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास और संचालन में डॉ अब्दुल कलाम एक भारतीय एयरोस्पेस वैज्ञानिक ( Indian aerospace scientist ) थे और अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों के विकास और संचालन अहम भूमिका निबाई थी। बैलिस्टिक मिसाइलों और व्हीकल टेक्नोलॉजी के सफल विकास के लिए उन्हें ‘ मिसाइल मैन ‘ की उपाधि से सम्मानित किया गया था। उन्होंने 1998 में भारत के पोखरण 2 न्यूक्लियर टेस्ट में एक बड़ा संगठनात्मक, तकनीकी और राजनीतिक रोल अदा किया था । यहीं कारण है कि लोग उन्हें मिसाइल मैन के रूप में जानते हैं।
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इसरो और डीआरडीओ में कार्यरत के दौरान डॉ. कलाम, भारत के सिविल स्पेस प्रोग्राम और मिलिट्री मिसाइल डेवलपमेंट प्रयासों में मुख्य रूप से शामिल रहे थे। डॉ. कलाम के नेतृत्व में बनने वाले प्रमुख हथियारों में ‘ ब्रह्मोस ‘ , ‘ पृथ्वी ‘ , ‘ अग्नि ‘ , ‘ त्रिशूल ‘ , ‘ आकाश ‘ , ‘ नाग ‘ समेत कई अन्य मिसाइल व ‘ इसरो लॉन्चिंग व्हीकल प्रोग्राम भी शामिल है। उन्होंने भारत को 6 ऐसी अनमोल चीजें दीं, जिन्होंने देश की छवि ही बदलकर रख दिया है। आज डॉ . कलाम के प्रयासों से ही भारत दुनिया का सुपर पावर बनने की ओर अग्रसर है।
एपीजे अब्दुल कलाम की बुक्स- अब्दुल कलम साहब की ये कुछ बुक्स , जिनकी रचना उन्होंने की थी –
* इंडिया 2020 – ए विशन फॉर दी न्यू मिलेनियम * विंग्स ऑफ़ फायर – ऑटोबायोग्राफी
*इग्नाइटेड माइंड
* ए मेनिफेस्टो फॉर चेंज
* मिशन इंडिया
*इन्सपारिंग थोट
*माय जर्नी
*एडवांटेज इंडिया
* यू आर बोर्न टू ब्लॉसम
*दी लुमीनस स्पार्क
*रेइगनिटेड
ए पी जे अब्दुल कलाम को मिले सम्मान, अवॉर्ड- 1981में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण दिया गया। 1997 में भारत सरकार द्वारा देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। 1997 में इंदिरा गाँधी अवार्ड, 2011 में IEEE होनोअरी मेम्बरशिप। इसके अलावा उन्हें बहुत सी यूनिवर्सिटी के द्वारा डोक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया।
ए पी जे अब्दुल कलाम जी की मृत्यु- 27 जुलाई 2015 को शिलोंग गए थे। वहां IIM शिलाँग में एक फंक्शन के दौरान अब्दुल कलाम साहब की तबियत ख़राब हो गई थी वे, वहां एक कॉलेज में बच्चों को लेक्चर दे रहे थे, तभी अचानक वे गिर पड़े। जिसके बाद उन्हें शिलोंग के हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया और उनकी स्थिती नाजुक होने के कारण उन्हें आई सी यू में एडमिट किया गया। जिसके बाद उन्होंने अपनी अंतिम साँसे ली और दुनिया को अलविदा कह दिया। इस दुखद खबर के बाद सात दिन के राजकीय शोक का ऐलान किया गया। 84 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनियाँ को अलविदा कह दिया।
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